सन् 2005 में अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा विकास संगठन द्वारा ‘‘राष्ट्रीय गौरव’’ सम्मान तथा सन् 2004 में केंद्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद द्वारा ‘‘राजभाषा रत्न सम्मान’’ से सम्मानित, श्री शम्मी सुख ने मौलाना आजाद काॅलेज आॅफ टेक्नोलाॅजी, भोपाल से सन् 1975 में इंजीनियरिंग की। तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी आप का रूझान प्राकृतिक तौर पर साहित्य की ओर रहा। इसी के फलस्वरूप आपने अंग्रेजी में 28 पुस्तकें विभिन्न जीवनोपयोगी विषयों पर लिखीं और लाखों पाठकों के दिल जीत लिए। आप एक लोकप्रिय एवं सफल प्रशिक्षक भी है। आपकी कृतियाँ प्रेरणादायी उत्साह का संचार करने वाली और परिणामोन्मुखी हैं। आपकी सभी कृतियाँ जीवन को सफलता की चोटी तक पहुंचाने वाली और उच्चस्तरीय हैं।
आप एक ओजस्वी वक्ता भी हैं और आपके सूर्योदयी स्वर में प्रखरता के साथ-साथ एक अलग सी सरलता भी झलकती है, जो कठिन से कठिन बात को भी बहुत ही सुगम बना देती है। वास्तव में, आप विज्ञान और कला का एक अनूठा एवं अद्वितीय संगम हैं।
आप निराश हैं? आप दुःखी हैं? आप हताश हैं? क्या आप जीवन का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं? शायद आपने ‘‘मैं’’ की जादुई शक्ति को नहीं पहचाना। शायद आपने अपने को नहीं जाना। अपने भीतर की सुप्त व अपार जादुई शक्ति को जगा कर देखें तो सही।
यह पुस्तक आपका कायाकल्प कर सकती है। आप जान जायेंगे कि आप एक अद्भुत जीवन जीने के लिए इस संसार में आए हैं। आप उत्साह व उमंग से भरपूर जीवन जीने आएं हैं। आपका जन्म अपने सपने साकार करने के लिए हुआ। जीवन जीने के लिए है, न कि निराश अथवा हताश होने के लिए।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपकी जिंदगी बदल जाएगी। अब अपनी जादुई शक्ति को जागृत होने दें।
यह पुस्तक आपको आपकी जादुई शक्ति से परिचय करवाएगी। और वह शक्ति है ‘‘मैं’’ की जादुई शक्ति। जो व्यक्ति अपनी इस शक्ति से परिचित नहीं वे लोग अपना समस्त जीवन चिढ़, निराशा, ग्लानि, क्रोध, ईष्र्या, भय इत्यादि में बिता देते हैं। और यदि कोई अपनी जादुई शक्ति को जान लेता है तो उसका जीवन आशा, उमंग, जोश, प्रेम, आनंद व उत्साह से भर जाता है।
चुनाव आपके हाथ में है।